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Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कथा, इसके पाठ किए बिना पूरा नहीं होगा आपका व्रत

करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। व्रत तब ही पूर्ण माना जाता है जब करवा चौथ की यह पौराणिक कथा पढ़ी जाती है।

समाचार डेस्क
10 अक्टूबर 2025 को 01:35 pm बजे
Karwa Chauth Vrat Katha: करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कथा, इसके पाठ किए बिना पूरा नहीं होगा आपका व्रत

Karwa Chauth Ki Kahani in Hindi: करवाचौथ का व्रत इस साल 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत शादीशुदा महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। करवाचौथ का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब इसकी संपूर्ण कथा सुनी या पढ़ी जाती है।

करवाचौथ व्रत कथा का महात्म्य

करवा चौथ की कथा का महात्म्य सबसे पहले भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया था और द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने यह कथा द्रौपदी को सुनाई थी। महाभारत युद्ध से पहले जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए और देर तक वापस नहीं लौटे, तब द्रौपदी चिंतित हुईं। भगवान कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ का व्रत करने का उपदेश दिया और इस व्रत की कथा सुनाई।

करवा चौथ व्रत कथा

एक नगर में एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सेठानी, बहुएं और बेटी — सभी ने करवाचौथ का व्रत रखा था। रात में जब साहूकार के बेटे भोजन करने लगे, तो उन्होंने अपनी बहन से कहा — "भोजन कर लो।" बहन ने उत्तर दिया — "अभी चाँद नहीं निकला है, चाँद को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करूंगी।"

भाइयों ने अपनी बहन के साथ धोखा करने की योजना बनाई। वे नगर से बाहर जाकर अग्नि जलाकर और छलनी से उसका प्रकाश दिखाकर बोले — "बहन, चाँद निकल आया है, अब अर्घ्य दे दो और भोजन कर लो।" भाभियों ने उसे समझाया — "अभी चाँद नहीं निकला, तेरे भाई तुझे धोखा दे रहे हैं।" परंतु बहन ने उनकी बात नहीं मानी और भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को चाँद मानकर अर्घ्य देकर भोजन कर लिया।

इससे उसका व्रत भंग हो गया और गणेश जी उस पर अप्रसन्न हो गए। फलस्वरूप उसका पति गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। जब उसे अपने भूल का अहसास हुआ, तो उसने पश्चाताप करते हुए पुनः श्रद्धा और भक्ति से गणेश जी की पूजा की और अगली चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से व्रत रखा।

भगवान गणेश उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसके पति को जीवनदान दिया। साथ ही उनके घर में पुनः धन-समृद्धि लौटी।

निष्कर्ष

जो भी स्त्रियां छल-कपट त्याग कर श्रद्धा और भक्ति से यह करवा चौथ का व्रत करती हैं, वे सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करती हैं और सभी कष्टों से मुक्त होती हैं।

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