धनतेरस की संपूर्ण कथा: जानिए क्यों मनाया जाता है धनतेरस और इससे जुड़ी पौराणिक कहानियां
धनतेरस दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाने वाला शुभ पर्व है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, और यमराज की पूजा की जाती है। जानिए धनतेरस की पौराणिक कथा, महत्व और इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्यों के बारे में।

धनतेरस का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, जो दीपावली से दो दिन पहले आता है। यह पर्व पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का शुभारंभ करता है। ‘धनतेरस’ शब्द दो भागों से बना है – ‘धन’ और ‘तेरस’, जिसका अर्थ है तेरहवां दिन। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से धन तेरह गुना बढ़ जाता है।
समुद्र मंथन और भगवान धन्वंतरि की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवता शक्तिहीन हो गए थे, तब भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन का आदेश दिया। मंथन के दौरान चौदह रत्न निकले, जिनमें सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। यह घटना कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की थी, इसलिए इस दिन को धनतेरस कहा गया। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और स्वास्थ्य के देवता माना जाता है।
यमराज और अकाल मृत्यु से जुड़ी कथा
एक बार यमराज ने कहा कि जो व्यक्ति धनतेरस के दिन विधि-विधान से दीपदान करेगा, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इसलिए इस दिन घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने की परंपरा है, जिसे ‘यम दीपक’ कहा जाता है।
लक्ष्मी जी और किसान की कथा
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर आने पर लक्ष्मी जी ने उत्सुकता में सरसों के फूल तोड़ लिए, जिससे नाराज होकर विष्णु जी ने उन्हें बारह वर्ष तक एक गरीब किसान के घर रहने का श्राप दे दिया। किसान की भक्ति से प्रसन्न होकर लक्ष्मी जी ने उसे धन-धान्य से भर दिया। तभी से धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा का विधान शुरू हुआ।
धनतेरस के दिन क्या करें
खरीददारी करें: सोना, चांदी, बर्तन, या धातु की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है।
घर की सफाई: इस दिन घर की विशेष सफाई और रंगोली बनाई जाती है।
पूजा-अर्चना: भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी, कुबेर देवता और गणेश जी की पूजा करें।
दीपदान: दक्षिण दिशा में यमराज के नाम का दीपक जलाएं।
मंत्र जाप: "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का 108 बार जाप करें।
धनिया खरीदें: धनिया के दाने खरीदकर अगले दिन तिजोरी में रखें।
धनतेरस केवल धन-संपत्ति का प्रतीक नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और अकाल मृत्यु से रक्षा का भी संदेश देता है। यह हमें सिखाता है कि सबसे बड़ा धन एक निरोगी शरीर और सत्कर्ममय जीवन है।
🪔 धनतेरस तिथि: 18 अक्टूबर 2025