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Kantara 2 Movie Review: इस साल की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाएगी कांतारा: चैप्टर 1, पढ़िए फिल्म रिव्यू

ऋषभ शेट्टी की कांतारा: चैप्टर 1 एक प्रीक्वल है जो सामाजिक मुद्दों, सत्ता संघर्ष और जनजातीय जीवन की गहराइयों को दिखाती है। दमदार निर्देशन, अभिनय और तकनीकी उत्कृष्टता इसे इस साल की बेहतरीन फिल्मों में शुमार कराती है।

समाचार डेस्क
3 अक्टूबर 2025 को 02:31 am बजे
Kantara 2 Movie Review: इस साल की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाएगी कांतारा: चैप्टर 1, पढ़िए फिल्म रिव्यू

कभी कोई फिल्म आपको इतना प्रभावित करती है कि उसके बारे में सोचने से आप रुक ही नहीं पाते। ऋषभ शेट्टी की कांतारा: चैप्टर 1 ऐसी ही फिल्म है। यह सिर्फ एक मास्टरपीस नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक घटना है, जो दर्शकों को पूरी तरह अपनी जादुई दुनिया में खींच लेती है।

कहानी

फिल्म की शुरुआत कदंब वंश और उसके क्रूर शासक से होती है, जिसकी लालच हर जमीन और पानी पर कब्जा करना है। इसी खोज के दौरान वह कांतारा पहुंचता है, जहां प्रकृति और जनजातियां सामंजस्य से रहती हैं। यहीं उसकी महत्वाकांक्षा को असली चुनौती मिलती है।

सालों बाद कहानी विजयेंद्र (जयाराम) और उनके बेटे कुलशेखर (गुलशन देवैया) तक पहुंचती है। कुलशेखर के शराबी और अयोग्य शासक बनने के बाद कांतारा और भांगड़ा वंश के बीच जमीन के मालिकाना हक को लेकर संघर्ष छिड़ता है। कांतारा के नेता बर्मे (ऋषभ शेट्टी) अपने लोगों की रक्षा के लिए लड़ाई छेड़ते हैं।

निर्देशन और विजुअल्स

ऋषभ शेट्टी का निर्देशन फिल्म को अलग ऊंचाई देता है। चाहे रथ-घोड़े का पीछा करने वाले दृश्य हों या जंगल की लड़ाई, हर फ्रेम जुनून और मेहनत से भरा है। अरविंद एस कश्यप की सिनेमैटोग्राफी, अजनिश लोकनाथ का संगीत और विजुअल इफेक्ट्स फिल्म को और खास बनाते हैं। हालांकि दूसरे हिस्से में कुछ ग्राफिक्स थोड़े कमजोर लगते हैं, लेकिन यह फिल्म के प्रभाव को कम नहीं करते।

अभिनय

ऋषभ शेट्टी का बर्मे चरित्र हर दृश्य में जीवंत लगता है। उनकी आवाज और अभिव्यक्ति रोंगटे खड़े कर देती है। रुक्मिणी वसंत (कनकवती) का दमदार किरदार फिल्म का सहारा है। जयाराम का अनुभव और गुलशन देवैया का अयोग्य राजा वाला किरदार भी दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ते हैं।

खासियत

फिल्म सिर्फ अमीर-गरीब की लड़ाई नहीं दिखाती बल्कि जनजातीय समाजों के भीतर सत्ता संघर्ष और अच्छाई-बुराई की जंग को भी उजागर करती है। प्रतीकात्मक और परतदार कहानी दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।

निष्कर्ष

‘कांतारा: चैप्टर 1’ सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक अनुभव है। क्लाइमैक्स और गुलिगा वाले दृश्य अविस्मरणीय हैं। यह फिल्म निश्चित तौर पर इस साल की बेहतरीन फिल्मों में गिनी जाएगी।

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