जब मात्र ₹1500 देने से हिल रहा महाराष्ट्र का बजट, तो बिहार में कैसे मिलेगा महिलाओं को सम्मान?
महाराष्ट्र की 'माझी लड़की बहन योजना' पर 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो रहे हैं, जिससे राज्य का बजट प्रभावित हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार में महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा कैसे पूरा होगा?

Patna/Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘माझी लड़की बहन योजना’ चर्चा में है, लेकिन अब इस योजना के चलते राज्य की वित्तीय स्थिति पर असर दिखने लगा है। महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने खुद स्वीकार किया कि इस योजना के कारण अन्य विभागों के बजट पर दबाव बढ़ गया है।
🔹 योजना से हिल रहा महाराष्ट्र का बजट
भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं को प्रति माह ₹1,500 की वित्तीय सहायता दे रही है, जिससे 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये का बोझ बजट पर आ रहा है। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास ही ₹84,000 करोड़ रुपये की देनदारी है। भुजबल ने चेतावनी दी कि अगर इसी तरह योजनाओं में बड़ी राशि बांटी जाती रही, तो वित्तीय संकट गहराएगा।
🔹 ‘माझी लड़की बहन योजना’ के लाभार्थी
इस योजना का लाभ 21 से 65 वर्ष की महिलाओं को मिलता है, जिनकी पारिवारिक आय ₹2.5 लाख से कम है और जिनके परिवार में सरकारी नौकरी या चार पहिया वाहन नहीं है। इसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
🔹 बिहार में भी महिलाओं को ‘मासिक सहायता’ का वादा
वहीं बिहार में भी इसी तरह की योजना का ऐलान हुआ है। महागठबंधन ने आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र ‘माई-बहिन मान योजना’ शुरू करने का वादा किया है। इस योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह ₹2,500 दिए जाने की बात कही गई है।
अगर यह योजना लागू होती है, तो बिहार सरकार पर सालाना लगभग ₹48,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा।
🔹 नीतीश सरकार भी कर रही सीधा ट्रांसफर
वर्तमान एनडीए सरकार ने भी महिलाओं को लुभाने के लिए हाल में ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत 21 लाख महिलाओं के खातों में ₹10,000-₹10,000 ट्रांसफर किए हैं। कुल ₹2,500 करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च किए गए। अब तक 1.21 करोड़ महिलाओं को इसका लाभ मिल चुका है।
🔹 बिहार का कुल बजट और वित्तीय चुनौती
बिहार सरकार का वित्त वर्ष 2025-26 का कुल बजट ₹3,16,895 करोड़ रुपये है। ऐसे में सिर्फ महिलाओं पर इतनी बड़ी राशि खर्च करना राज्य के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती होगी। अगर महाराष्ट्र जैसे समृद्ध राज्य का बजट ₹1,500 प्रति महिला देने से डगमगा सकता है, तो बिहार में ₹2,500 देने का वादा कितना व्यावहारिक है — यह देखने वाली बात होगी।